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क्या मैं मोटा हूँ?

पतले लोग मोटे लोगो पर ताने तो यूँ कसते है मानो धरती की आधी समस्यायों के लिए हम ही जिम्मेदार है। भाई मेरे, तुमने पतले होकर क्या तीर मार लिया... कौन सा ओबामा तुम्हारे साथ बैठ कर ती...

दोस्त अब थकने लगे है

किसीका पेट  निकल आया है, किसीके बाल  पकने लगे है... सब पर भारी ज़िम्मेदारी  है, सबको छोटी मोटी कोई बीमारी  है। दिनभर जो भागते दौड़ते थे, वो अब चलते चलते भी रुकने  लगे है। पर ये हकीकत है, सब दोस्त थकने  लगे है...1 किसी को लोन  की फ़िक्र है, कहीं हेल्थ टेस्ट  का ज़िक्र है। फुर्सत की सब को कमी है, आँखों में अजीब सी नमीं है। कल जो प्यार के ख़त लिखते  थे, आज बीमे के फार्म  भरने में लगे है। पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है....2 देख कर पुरानी तस्वीरें , आज जी भर आता है। क्या अजीब शै है ये वक़्त भी, किस तरहा ये गुज़र जाता है। कल का जवान  दोस्त मेरा, आज अधेड  नज़र आता है... ख़्वाब सजाते  थे जो कभी , आज गुज़रे दिनों में खोने  लगे है। पर ये हकीकत है सब दोस्त थकने लगे है... सभी मित्रों समर्पित....

30 Quotes - will change your life

*Ek Ek Point Dhayaan Se Padhiyega* *Quote 1 .* जब लोग आपको *Copy* करने लगें तो समझ लेना जिंदगी में *Succes s* हो रहे हों. *Quoted 2 .* कमाओ…कमाते रहो और तब तक कमाओ, जब तक महंगी चीज सस्ती न लगने लगे. *Quote 3 .* जिस व्यक्ति के सपने  खत्म, उसकी तरक्की भी ...

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Son | बेटे भी घर छोड़ जातें है

बेटे भी घर छोड़ जाते हैं दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं अपनी जान से ज़्यादा प्यारा desk top छोड़ कर अलमारी के ऊप र धूल खाता गिटार छोड़ कर Gym के dumbles, और बाकी gadgets मेज़ पर बेतरतीब पड़ी worksheets, pens और pencils बिखेर कर बेटे भी घर छोड़ जाते हैं दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं मुझे ये colour /style पसंद नहीं कह कर brand new शर्ट अलमारी में छोड़ कर Graduation ceremony का सूट, जस का तस पुराने मोज़े, बनियान , रूमाल, (ये भी कोई सहेज़ के रखने वाली चीज़ है ) सब बेकार हम समेटे हैं, उनको परवाह नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते हैं  दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं जिस तकिये के बिना नींद नहीं आती थी वो अब कहीं भी सो जाते हैं खाने में नखरे दिखाने वाले अब कुछ भी खा कर रह जाते हैं अपने room के बारे में इतनेpossessive होने वाले अब रूम share करने से नहीं हिचकिचाते अपने career बनाने की ख्वाहिश में बेटे भी माँ बाप से बिछड़ जाते हैं दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं घर को मिस करते हैं, पर कहते नहीं माँ बाप को 'ठीक हूँ 'कह कर झूठा दिलासा दिलाते हैं जो हर चीज़ की ख्वाहिशमंद होते थे अब  'कुछ नहीं चाहिए' की रट...

हम क्या से क्या हो गए

जाने क्यूं अब शर्म से,  चेहरे गुलाब नही होते। जाने क्यूं अब मस्त मौला मिजाज नही होते। पहले बता दिया करते थे,  दिल की बातें। जाने क्यूं अब चेहरे,  खुली किताब नही होते। सुना है बिन कहे ही  दिल की बात समझ लेते थे, गले लगते ही दोस्त हालात समझ लेते थे। जब ना फेस बुक थी .... ना व्हाटस एप था .... ना मोबाइल था ..... एक चिट्ठी से ही दिलों के जज्बात समझ लेते थे। सोचता हूं, हम कहां से कहां आ गये। प्रेक्टीकली सोचते सोचते भावनाओं को खा गये। अब भाई भाई से समस्या का समाधान कहां पूछता है ..... अब बेटा बाप से उलझनों का निदान कहां पूछता है ..... बेटी नही पूछती मां से गृहस्थी के सलीके। अब कौन गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान की परिभाषा सीखे। परियों की बातें अब किसे भाती हैं .... अपनो की याद अब किसे रुलाती है ...... अब कौन गरीब को सखा बताता है ..... अब कहां कृष्ण सुदामा को गले लगाता है ..... जिन्दगी मे हम प्रेक्टिकल हो गये है .... रोबोट बन गये हैं सब ... इंसान जाने कहां खो गये हैं ..... !!