कल दोपहर मैं बैंक में गया था। वहाँ एक बुजुर्ग भी उनके काम से आये थे। वहाँ वह कुछ काम की बात ढूंढ रहे थे। मुझे लगा शायद उन्हें पेन चाहिये। इसलिये उनसे पुछा तो, वह बोले "बिमारी के कारण मेरे हाथ कांप रहे हैं और मुझे पैसे निकालने की स्लीप भरनी हैं। उसके लिये मैं देख रहा हूँ कि किसी की मदद मिल जाये तो अच्छा रहता।" मैं बोला "आपको कोई हर्ज न हो तो मैं आपकी स्लीप भर दूँ क्या ?" उनकी परेशानी दूर होती देखकर उन्होंने मुझे स्लीप भरने की अनुमति दे दी। मैंने उनसे पुछकर स्लीप भर दी। रकम निकाल कर उन्होंने मुझसे पैसे गिनने को कहा। मैंने पैसे गिनकर उन्हें वापस कर दिये। मेरा और उनका काम लगभग साथ ही समाप्त हुआ तो, हम दोनों एक साथ ही बैंक से बाहर आ गये तो, वह बोले "साँरी तुम्हें थोड़ा कष्ट तो होगा। परन्तु मुझे रिक्षा करवा दोगे क्या ? भरी दोपहर में रिक्षा मिलना कष्टकारी होता हैं।" मैं बोला "मुझे भी उसी तरफ जाना हैं। मैं आपको कार से घर छोड़ दूँ तो चलेगा क्या ?" वह तैयार हो गये। हम उनके घर पहुँचे। घर क्या बंगला कह सकते हो। 60' × 100' के...