यदि आपने कभी कचौरी का नाम नही सुना, कभी खाई नही तो मैं बेहिचक मान लूंगा कि आप एलियन हैं। कोई इस पृथ्वी पर जन्में और बिना कचौरी खाये मर जाये ये तो हो ही नही सकता। बेसन के घोल में सुनहरी तली हुई कवर के साथ भरे मसालेदार दुष्ट दाल का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह दिल दिमाग पर हावी बनी हुई है। हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। सुबह नाश्ते मे कचौरी हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इनके दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे। कचौरी का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम कचौरी पर लागू नही होता। कचौरी सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। दिल मर मिटता है कचौरी पर। ये बेबस कर देती हैं आपको। कचौरी को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ। कचौरी मे बडी एकता होती है। इनमें से कोई अकेली आपके पेट मे जाने को तैयार नही होती। आप पहली कचौरी खाते हैं तो आँखे दूसरी कचौरी को तकने लगती है, तीसरी आपके दिमाग पर कब्जा कर लेती है और दिल की सवारी कर रही चौथी कचौरी की बात आप टाल नही पाते। कचौरी को देखते ही आप...